TOP GUIDELINES OF HANUMAN CHALISA

Top Guidelines Of hanuman chalisa

Top Guidelines Of hanuman chalisa

Blog Article

अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।

व्याख्या – श्री हनुमान जी परब्रह्म राम की क्रिया शक्ति हैं। अतः उसी शक्ति के द्वारा उन्होंने भयंकर रूप धारण करके असुरों का संहार किया। भगवान् श्री राम के कार्य में लेश मात्र भी अपूर्णता श्री हनुमान जी के लिये सहनीय नहीं थी तभी तो ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम‘ का भाव अपने हृदय में सतत सँजोये हुए वे प्रभु श्री राम के कार्य सँवारने में सदा क्रिया शील रहते थे।

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥१॥ राम दूत अतुलित बल धामा ।

Sādhu SādhuGood men and women / monks / renunciates santaSantaSaint keKeOf tumaTumaYou rakhavāreRakhavāreKeeper / guardian

Hanuman is surely an ardent devotee of Ram and on the list of central people during the renowned Hindu epic, the Ramayana

No words can explain the bliss and Pleasure somebody feels whenever they read through, recite, chant, sing, and/or hear Hanuman Chalisa every day. This guide will improve your expertise and knowledge of more info this amazing hymn, and provide you For some time to come back.

Take note: In case you’re viewing this webpage in a Desktop Laptop or computer, mouse-hover on Just about every word to begin to see the that means of it; For those who’re on the mobile/tablet device, faucet on Each and every word to begin to see the this means of it.

◉ श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा, हनुमान जन्मोत्सव, मंगलवार व्रत, शनिवार पूजा, बूढ़े मंगलवार और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से गाये जाने वाला चालीसा है.

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥ और देवता चित्त न धरई ।

भावार्थ– हे हनुमान् स्वामिन् ! आपकी जय हो ! जय हो !! जय हो !!! आप श्री गुरुदेव की भाँति मेरे ऊपर कृपा कीजिये।

हनुमान चालीसा, लाभ, पढ़ने का सही समय, क्यों पढ़ें?

सियराम–सरूपु अगाध अनूप बिलोचन–मीननको जलु है।

भावार्थ – ज्ञान और गुणों के सागर श्री हनुमान जी की जय हो। तीनों लोकों (स्वर्गलोक, भूलोक, पाताललोक) को अपनी कीर्ति से प्रकाशित करने वाले कपीश्वर श्री हनुमान जी की जय हो।

व्याख्या – श्री हनुमान जी महाराज की शरण लेने पर सभी प्रकार के दैहिक, दैविक, भौतिक भय समाप्त हो जाते हैं तथा तीनों प्रकार के आधिदैविक, आधिभौतिक एवं आध्यात्मिक सुख सुलभ हो जाते हैं।

Report this page